क्षणिकाएं – १५

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क्षणिकाएं  –   १५ ( १ ) न कोई शिकवा है न कोई हैं शिकायतें ये तो बस बेकरार दिल की हैं शरारतें रोज रोज मिलने की भी कहां   बनी ...

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